Wednesday 30 September 2015

कई दिनों बाद आज फिर तुम याद आई। वही खुसबू मेरे साँसों से होकर गुजरा।

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कई दिनों बाद आज फिर तुम याद आई। वही खुसबू मेरे साँसों से होकर गुजरा।
मै वो खुशनसीब मे शूमार रहूँगा , जिनकी क़ब्र पर सर सजदा मे यू ही झुकजाते है।

मै ना कहता था कि असोड़ए पर बैठ यू ही चाँद देखा करना।
मेरे जिन्दगी के सारे धब्बये तुम्हे चाँद मे दिखाई दिया करेंगे।
आज तेरी आँखों की हर एक आंसू की बूंद ,मेरी बातो की गवाही देती होगी।

हर पल ,हर ख्याल का ,हर बात, कुछ मलाल मे.… मैं कोसों दूर भटकता बैगाण्ये की तरह हु।
भटकता ,संभलता ,चलता जा रहा हू ,हर याद ,हर बात भूलता जा रहा हू।

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